किन हिदायतों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इंतज़ार बिना तलाक़ की दी अनुमति
पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सर्वोच्च अदालत विवाह को तुरंत भंग कर सकती है. लेकिन यह तभी संभव है जब अदालत इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हो जाए कि शादी अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुकी है यानी पति-पत्नी के बीच सुलह की सारी संभावनाएं ख़त्म हो चुकी हैं और उनके बीच रिश्तों को दोबारा शुरू करने की कोई गुंजाइश नहीं है.