बाराबंकी

जाॅर्ज फर्नांडिस सम्पूर्ण जीवन कांग्रेस व नेहरू की वंशवादी परम्परा का विरोध करते रहे। जार्ज जानते थे कि कांग्रेस के रहते लोकतंत्र की रक्षा नहीं हो सकती है। इसी विरोध के चलते उनकी भाजपा से नजदीकियां बढी और भाजपा के साथ केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होते रहे। यह बात रविवार को गांधी भवन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं समाजवादी आन्दोलन के पुरोधा जाॅर्ज फर्नांडिस की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि जार्ज फर्नाडिस ने समाजवादी आंदोलन को हिन्दुस्तान में डाॅ राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में मधुलिमये के साथ मिलकर शानदार शक्ल दी।

जिन्होनें भारत-पाक-बांग्लादेश महासंघ की विचारधारा को बल दिया। वह सादगी से जीवन जीने वाले जिंदादिल इंसान थे। जिनके जीवन में संघर्षों की लंबी फेहरिस्त है, जो आज अतीत की यादों में खो गई है। इस मौके पर पूर्व विधायक सरवर अली खान ने कहा कि समाजवादी आंदोलन टुकड़ों में भले बंटा हो, लेकिन जॉर्ज फर्नाडिस का संघर्ष कभी नहीं बंटा। जहां अन्याय वहां जार्ज, यही उनकी पहचन थी।

पचहत्तर में आपातकाल लगा, जॉर्ज भूमिगत हो गए। अंडरग्राउंड होकर आपातकाल विरोधी आंदोलन संगठित किया। मशहूर बड़ौदा डायनामाइट कांड हुआ, जॉर्ज पकड़े गए। जेल में रहते लोकसभा का चुनाव जीते और सतहत्तर में केंद्रीय मंत्री बने। यह उनके अतीत का एक अध्याय था। आज जार्ज फर्नांडिस के निधन से समाजवादी आन्दोलन में शून्यता सी आ गयी है। जिसे भरा नही कमी को पूरा नहीं किया जा सकता।

सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से समाजसेवी डाॅ ए.ए. अंसारी, सलाहउद्दीन किदवाई, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, बराती वर्मा, अशोक जायसवाल, नीरज दूबे, सत्यवान वर्मा, अजीज अहमद, विनोद भारती, मो तौकीर अहमद, अशोक शुक्ला, राजेश यादव, विजय कुमार सिंह ‘मुन्ना‘ आदि लोग मौजूद रहे।

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