How is electricity made, after all, how is electricity made from coal
बिजली कैसे बनती है आपको हम बता दें कि जो हमारा इलेक्ट्रिक पावर प्लांट होता है यह बहुत बड़ा एरिया में फैला हुआ होता है। इसमें कई खंड होते हैं सबसे पहले हम यह समझेंगे कि स्टीम कैसे बनता है क्योंकि हमें स्टीम हिट द्वारा ही मिल सकता है और हिट उत्पन्न करने के लिए हमें कोयले को बहुत मात्रा में जलाना पड़ता है। अगर हिट उत्पन्न नहीं हो पाती है अधिक मात्रा में तो पावर प्लांट बंद हो जाएगा और बिजली का उत्पादन भी बंद हो जाएगा।
बिजली कैसे बनती है जानने से पहले यह जानना चाहिए की कोयले की कितनी आवश्यकता होती है। बिजली के उत्पादन के लिए कोयले की मात्रा 1.5 मिलियन टन 40 दिन के लिए रखा जाता है क्योंकि अगर कोयला घट जाएगा तो बिजली प्लांट बंद हो जाएगा और सारे घरों में बिजली कट हो जाएगी। इस कोयले को हम कोल यार्ड में रखते हैं। और उसको कोल हैंडलिंग डिपार्टमेंट को सौंप दिया जाता है और ट्रेन आकर यहां पर कोयला डंप करके चली जाती है।
कोल यार्ड क्या होता है
कोल यार्ड में कोयले को लाकर ट्रेन से नीचे गिरा दिया जाता है और नीचे स्टोरेज के लिए जगह होती है और वहां पर कोयला स्टोरेज हो जाता है। कोयला को खाली करने की कई विधियां होती हैं। कोल यार्ड में जब माल गाड़ी आती है उसका डिब्बा ऊपर से खुला रहता है और उसको मशीन द्वारा पकड़कर उलट दिया जाता है और कोयला बहुत ही आसानी से स्टोरेज के लिए स्टोरेज कक्ष में चला जाता है। इस मशीन द्वारा ट्रेन के हर एक डिब्बे को इसी तरीके से खाली किया जाता है और इसमें समय भी कम लगता है और ट्रेन वहां से चली जाती है।
बेल्ट कन्वेयर में एक बेल्ट लगी होती है और दोनों तरफ पुली लगी रहती है और यह पुली लगातार घूमती रहती है और उसी के सहारे ऊपर से नीचे लपेटते हुए एक बेल्ट लगा होता है। और उसी बेल्ट पर इस मशीन द्वारा कोयले को रखा जाता है और उसे वहां से ले जाया जाता है। इस बेल्ट कन्वेयर द्वारा कोयले को बहुत ही दूर तक ले जाया जा सकता है जहां तक इसकी आवश्यकता हो।
क्रशर मशीन क्या होता है
कोयले की कोई आकार नहीं होती है यह अनेकों आकार में होता है इसलिए इस कोयले को क्रशर मशीन में डाला जाता है। और क्रशर मशीन में कोयले को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है जिससे कि इसको पीसने में आसानी हो।
पोलराइजर क्या होता है
पोलराइजर में कोयले को बहुत ही बारिक पीसा जाता है यह कोयला पीसने के बाद इतना बारिक हो जाता है जो हम अपने गालों पर पाउडर इस्तेमाल करते हैं उतना बारिक हो जाता है।
बिजली कैसे बनती है
किसी भी पावर प्लांट का 50% एरिया कोल यार्ड ही ले लेता है। पावर प्लांट का आधा भाग तो केवल कोल यार्ड हैंडलिंग डिपार्टमेंट ही लेकर चला जाता है।
बॉयलर मशीन क्या होती है
इसके बाद पिसे हुए कोयले को बॉयलर मशीन में ले जाया जाता है। आपको हम यह बता दें कि जब पिसे कोयले को बॉयलर में डाला जाता है तो कोयले का जो मोटा कण होता है वह बॉयलर की नीचे जाकर बैठ जाता है और कोयले की गंदगी नीचे चली जाती है और जो महीन कण होते हैं वह फ्लाई ऐश की तरह ऊपर उड़ कर निकल जाता है। जिसे हम धुआं कहते हैं। और इस बॉयलर में प्री हीटेड एयर भेजी जाती है जिससे की कोयले की नमी खत्म हो जाती है और कोयला अच्छे से जल जाता है।
कोयले से बिजली कैसे बनती है
इस पानी के जरिए जो बॉटम ऐश होते हैं वह नीचे बैठ जाते हैं और जो फ्लाई ऐश होते हैं वह ऊपर उड़ जाते हैं। और ये ऊपर जाकर ऊपर ट्यूब लगा होता है उसको गर्म कर देता है।इस ट्यूब में पानी भरा होता है। जिससे भाप बनती है। ऊपर जो पानी की ट्यूब होती है वह बहुत ही ज्यादा हीट हो जाती है और बहुत ही अधिक मात्रा में स्टीम उत्पन्न हो जाती है। और जो राख नीचे जाती है उसको एक कंपन करती हुई जाली द्वारा चाल लिया जाता है और यह राख स्टोर कर ली जाती है इस फ्लाई ऐश को सीमेंट कंपनियों को दे दिया जाता है और इससे सीमेंट का उत्पादन होता है। जिसे फ्लाई ऐश सीमेंट के नाम से जाना जाता है।